
डोकलाम विवाद के बाद भी पड़ोसी देश चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। बीते दिनों पूर्वी लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के जवान भारतीय सीमा में 300 से 400 मीटर तक भीतर घुस आए और 5 टेंट लगा दिए। रक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत के बाद पीएलए ने चेरडॉन्ग-नेरलॉन्ग नाल्लान इलाके में 3 टेंट हटा लिए। हालांकि 2 टेंट अभी भी बचे हुए हैं और उनमें चीन के सैनिक अभी भी मौजूद हैं। सेना से उसका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उसने इस बारे में कुछ भी बोलने से इनकार किया। सूत्रों ने बताया कि पीएलए के सैनिक जुलाई के पहले सप्ताह में खानाबदोशों के वेश में मवेशियों के साथ भारतीय सीमा में घुस आए और भारतीय जवानों के बार-बार कहने के बाद भी नहीं लौटे। एलएसी पर टकराव रोकने के लिए ऐसी स्थितियों में बैनर ड्रिल का प्रावधान है, जिसमें सेना दूसरे पक्ष को झंडा लहराकर अपने क्षेत्र में लौटने को कहती है। भारतीय सेना के लगातार बैनर ड्रिल के बाद भी चीनी सैनिक अपने इलाके में नहीं लौटे। एक सूत्र ने बताया, जब भारत ने ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत की पहल की तब पीएलए ने 3 टेंट हटा लिए। सूत्र ने आगे बताया कि चीनी सैनिकों ने नरलॉन्ग इलाके में सड़क बनाने की लद्दाख प्रशासन की कोशिशों की शिकायत की। डेमचोक एलएसी पर चिह्नित 23 विवादित और संवेदनशील इलाकों में से एक है जो पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है। अनसुलझी सीमा को लेकर अलग-अलग धारणाओं की वजह से इस सेक्टर में अकसर दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध होता रहता है। अकसर दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे पर अपने क्षेत्र में अतिक्रमण का आरोप लगाती हैं। लद्दाख के दूसरे विवादित इलाकों में त्रिग हाइट्स, डमचेले, चुमार, स्पैन्गुर गैप और पैन्गॉन्ग सो शामिल हैं। इस साल अबतक चीन की सेना ने 170 बार भारतीय सीमा का अतिक्रमण किया है। 2016 में पीएलए 273 बार भारतीय सीमा में घुसी थी। पिछले साल तो चीनी सैनिकों ने 426 बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी। पिछले साल ही भूटानी भूभाग में स्थित डोकलाम के पास सिक्किम-भूटान-तिब्बत के त्रिकोण पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध बना हुआ था। https://ift.tt/2MipJoA
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